लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज # लाल जोड़ा
शहनाई की गूंज कानों मे रस सा घोल रही थी गोरी के।तेरह साल की गोरी फटाफट सारा घर का काम निपटा रही थी क्योंकि उसे आज अपनी सबसे प्यारी सहेली सत्तों की शादी मे जो जाना था।काम खत्म करके गोरी शादी मे जाने के लिए तैयार होने लगी।उसे बड़ा अचरज होता था जब सभी उसकी हम उम्र लड़कियां चमकीले रंग पहनती थी और मां उसके लिए सदैव फीके रंग के कपड़े लाती ।वो बहुत बार पूछने की कोशिश करती लेकिन मां उसे हर बार डांट देती थी।आज सत्तों की शादी मे उसने हल्के पीले रंग का सूट पहना था उस मे भी वो परी जैसी लग रही थी।जब शादी मे गयी तो वहां सत्तों लाल जोड़े मे सजी बैठी थी ।गोरी का मन भी मचल उठा लाल रंग पहनने के लिए। शादी धूमधाम से हो गयी।गोरी जब घर आयी तो मां से बोली ,"मां सत्तों लाल जोड़े मे अप्सरा सी लग रही थी ।तुम मुझे क्यों नही ला कर देती चमकीले रंग।"हर बार की तरह इस बार भी मां ने उसे डांट दिया।ववह आंखों मे पानी लेकर अपने पलंग पर जाकर सुबकने लगी ।मन ही मन सोचा कोई नही मां अब नही दिलाती मुझे लाल रंग के कपड़े मै मेरी शादी मे तो लाल जोड़ा पहनूंगी ही तब मुझे कोई रोक कर दिखाएं।
गोरी का बाल मन विद्रोह कर उठा।
एक दिन वो बरतन साफ कर रही थी तभी घर में दो मेहमान आये।मां ने भाग कर दुपट्टा गोरी के सिर पर डाल दिया।वह घबरा गयी कि आखिर ये लोग है कौन ? खातिर दारी देखकर तो लड़के वाले लग रहे थे ।गोरी की मां फटाफट उसका सामना एक बक्से मे बांध रही थी।गोरी ने मां से पूछा,"मां मेरा सामान क्यों बांध रही हो ? मुझे कहां जाना है ?"
मां बोली,"ससुराल "
गोरी बोली,"वो तो ठीक है पर ये लोग कौन है ?"
मां ने कहा,"ये तेरे ससुर और देवर है तुझे लेने आये है।तेरे देवर की शादी है।"
गोरी अचंभित सी देखती रही शादी कब हुई?,अगर हुई भी है तो दुल्हा कहां है?
इन सब बातों को सोचते सोचते गोरी सफेद कपड़ों मे ही ससुराल विदा हो गयी लाल जोड़े का अरमान मन मे लिए।
वहां उसे पता चला कि उसकी शादी बचपन मे ही हो गयी थी उसका पति छोटु उम्र मे ही हैजा से मर गया था सफेद रंग को उसके माथे पर थोप कर।यानि वो बाल विधवा थी।गोरी ने सोचा जब मां बाप ने ही नही सोचा तो और से क्या शिकायत।वह देवर की शादी मे दौड़ दौड़ कर काम कर रही थी हां जहां सुहागन औरतों की कोई रीति होती तो वो बेचारी एक ओर बैठ जाती।सब को अच्छे अच्छे कपड़े पहने देखती और स्वयं सफेद साड़ी मे लिपटी यहां से वहां काम करती रहती।देवर की शादी हो गयी देवरानी के रूप मे एक सखी मिल गयी।सारा दिन देवरानी और जेठानी सखियां बनकर एक साथ काम करती और फिर बैठकर बतलाती रहती।सास बीमार ही रहती थी । देवरानी को चटकीले रंग पहनते हुए गोरी देखती तो मन मे एक टीस सी उभरती।"काश! मै भी।"
पर उसने नियति से समझौता कर लिया था। देवरानी मां बनने वाली थी नौवां महीना चल रहा था ।पर भगवान को तो कुछ और ही मंजूर था गोरी के जीवन मे जो खुशियां लेकर आया उसी को उसने छीन लिया। देवरानी बच्चे को जन्म देते ही भगवान को प्यारी हो गयी।सारे घर मे कोहराम मच गया नन्ही सी जान को अब कौन सम्हाले गा।गोरी ने सारी जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले ली।वह बच्चे को मां बनकर पालने लगी।सास ससुर उसका बच्चे के प्रति दीवानापन देख रहे थे और खुश थे कि चलों नन्ही सी जान को मां का प्यार तो मिला।
पर एक दिन चमत्कार ही हो गया। अनछुई गोरी की छातियों से उस दूधमुंहे के लिए दूध की धार बह चली।ये भगवान की ही कृपा थी जो उसने गोरी के ममत्व को सही रूप दे दिया।वह बच्चे को अपना दूध पिलाने लगी।सास की तो आंखों मे आंसू बह चले।
एक दिन सास ससुर दोनों हाथ मे लाल जोड़ा लेकर गोरी की कोठरी मे आये और बोले,"बेटी हमने देखी है तेरी तपस्या और त्याग ।हम बड़ों की गलती का खामियाजा तू अकेली क्यों भुगते ।सारी उम्र बाल विधवा के वेश मे हम तुम्हें नही रहने देंगे।तू मुन्ना की असली मां बन जा।बेटा हम पहले ही खो चुके है अब ये दूसरा बेटा पत्नी के गम मे ना हाथ से चला जाए।बेटी इस अधूरे घर को सम्पूर्ण बना दे।मेरे छोटे बेटे के जीवन मे बाहर बन कर आजा बेटी।"
यह कह कर ससुरजी ने लाल जोड़ा गोरी के चरणों मे रख दिया।
आज गोरी बरसों से दबे अपने सपने "लाल जोड़े"को हाथ मे लिए खड़ी थी।वह नजरें झुकाकर सास ससुर के चरणों को छूकर लाल जोड़ा लेकर दूसरे कमरे मे चली गयी।
Seema Priyadarshini sahay
15-Jun-2022 06:22 PM
बेहतरीन रचना मैम
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Pallavi
15-Jun-2022 08:06 AM
Nice
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Raziya bano
14-Jun-2022 10:55 AM
Bahut khub
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